SDM कैसे बनते हैं, और उनके कार्य जानिए आसान शब्दों में

SDM यानी सब डिविजनल मजिस्ट्रेट या उपप्रभागीय मजिस्ट्रेट या न्यायधीश होता है सब डिवीजन का निर्माण जिलों को विभाजित करके किया जाता है इसे एसडीएम द्वारा नियंत्रित किया जाता है यह किसी जिले में डीएम (डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ) के नीचे काम करता है , एसडीएम को जिले में डीएम के बाद दुसरे नंबर का रुतबा हासिल है ।

 

कैसे बनते हैं SDM

 

 

 

एसडीएम बनने के लिए संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) या स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन (PCS) जिसे संबंधित राज्य का लोक सेवा आयोग जैसे उत्तर प्रदेश में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग( UPSSSC), बिहार में बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के तहत प्री , मेन और इंटरव्यू पास करने के बाद IAS या PCS Officer बनते हैं। UPSC या राज्य का लोक सेवा आयोग पास करने वाले उम्मीदवार ट्रेनिंग खत्म होने के बाद कैडर अलॉटमेंट होने पर राज्यों में उन्हें SDM का पद मिलता है । इसके अलावा PCS पास करने वाले उम्मीदवार जिनकी रैंक अच्छी होती है, उन्हें भी SDM का पद दिया जाता है ।

 

शैक्षिक योग्यता

 

 

किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से किसी भी विषय से 55% से अधिक अंकों के साथ स्नातक की डिग्री होना अनिवार्य है। आरक्षित वर्ग के लिए 5% तक अंक का छूट का प्रावधान है

 

एसडीएम का कार्य 

 

 

 

जिले से संबंधित जमीन से जुड़े हर तरह के व्यापार पर निगरानी रखना तथा जिले में जमीन की खरीद अथवा बिक्री का पूरा लेखा-जोखा एसडीएम के अंतर्गत होता है गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन, चुनाव आधारित कार्य , विवाह पंजीकरण, ड्राइविंग लाइसेंस का नवीनीकरण और जारी करना, शस्त्र लाइसेंस का नवीनीकरण और जारी करना इत्यादि ।

 

एसडीएम को मिलने वाली सुविधाएं और सैलरी

 

 

एसडीम का पद एक बहुत ही जिम्मेदारी भरा पद होता है एसडीएम को सैलरी के साथ अन्य सुविधाएं भी मिलती है जैसे सरकारी आवास, सुरक्षा गार्ड, कुक, माली , सरकारी वाहन, टेलीफोन कनेक्शन, फ्रि बिजली आदि सरकार की ओर से प्रतिमाह ₹54000 तक ग्रेड पे के तौर पर प्रदान किए जाते हैं पुलिस स्टाफ यानी कि हम कह सकते हैं कि एक एसडीएम अधिकारी की मासिक सैलरी ₹84800 होती है।

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