चार दिवसीय छठ पूजा महापर्व की शुरुआत आज 28 अक्टूबर को नहाय खाय से हो रही है।
यह महापर्व चार दिनों तक मनाया जाता है। आज महिलाएं नहाए-खाए कर रही हैं। कल 29 अक्टूबर को इस पर्व का दूसरा दिन यानी ‘खरना’ है। 30 अक्टूबर को संध्या अर्घ्य और 31 अक्टूबर को उषा अर्घ्य के साथ इसका समापन होगा। महिलाएं छठ पूजा के दौरान कठोर निर्जला उपवास रखती हैं और अपने परिवार और बच्चों की भलाई, समृद्धि और प्रगति के लिए भगवान सूर्य और छठी मैया से प्रार्थना करती हैं । इस त्योहार के तीसरे दिन डूबते सूर्य और आखिरी दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
छठ पूजन के लिए सामग्री
छठ पूजन में मुख्य रूप से इन सभी सामग्री की जरूरत पड़ती है। इसमें नारियल, धूप, कलशुप, दउरा, गागल, नीबू, सेब, केला, संतरा, शरीफा, पानी फल, कच्चा केला, पान का पत्ता, सुपारी, कपूर, लौंग, लाल सिंदूर, दीपक, कोशी, कोन, अनारश, कलश, साठी चावल चिउरा, गुड़, हल्दी का पत्ता, अदरक, मूली, अरूई, गन्ना, सुथनी, अमरूद, आरता पात, अगरबत्ती, माचिस, घी, तेल, गमछा कोशी, फूल माला, बोडो, आम की लकड़ी, सिरकी बेरा, नए वस्त्रत्त्, नाशपाती, शकरकंदी और कुमकुम शामिल कलशुप, बोडो है ।
नारियल, गन्ना, सुपारी, केला, डाभ नींबू सामान्य नींबू से आकार में बड़ा होता है। ये नींबू छठी मईया को विशेष रूप से पंसद है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए डाभ नींबू प्रसाद में अवश्य चढ़ाना चाहिए।
छठ पूजा के दौरान सिंघाड़े भी छठी मईया पर चढ़ाए जाते हैं। सिंघाड़ा पानी में उगने वाला ऐसा फल है जिसे छठी मैया को चढ़ाने से वह पूरे परिवार को अपना आशीर्वाद देती हैं। छठ पूजा के कुछ नियम
* छठ पूजा का व्रत सबसे कठिन होता है क्योंकि यह निर्जला और निराहार रखा जाता है।
* छठ पूजा के व्रत में आप जो भी नमक वाला भोजन या पकवान बनाते हैं, उसमें सेंधा नमक का उपयोग होता है ।साधारण नमक का उपयोग वर्जित है।
* जो व्रत रखता है, उसे बिस्तर पर सोना वर्जित होता है। वह जमीन पर चटाई बिछाकर सो सकता है।