सारनाथ स्थित भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली से धम्म चारिका (पदयात्रा) 16 नवंबर से शुरू हुआ है जो कुशीनगर में जाकर समाप्त होगी इस पदयात्रा में शामिल उपासक 500 किलोमीटर की यात्रा पैदल तय करेंगे। इस दौरान रस्ते में पड़ने वाले गांव में बौद्ध के सन्देश को जन जन तक पहुंचाएंगे इस ऐतिहासिक विशाल धम्म चारिका पद यात्रा सारनाथ से कुशीनगर तक का कार्यक्रम 16 नवंबर से आठ दिसम्बर तक चल रहा है।
सारनाथ से कुशीनगर यात्रा के दौरान रास्ते में अलग अलग स्थानों पर सभाओं का आयोजन किया गया। यह यात्रा सारनाथ (वाराणसी) से गाजीपुर, बलिया, देवरिया, गोरखपुर, महराजगंज होते हुए 6 दिसंबर को कुशीनगर पहुचेगी ।
सारनाथ
बौद्ध धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल है । यहां भगवान बुद्ध ने पहली बार धर्म की शिक्षा दी थी
सारनाथ वाराणसी से 10 किलोमीटर दूर गंगा और वरुण नदियों के संगम पर स्थित एक पवित्र और बौद्ध स्थल है ।
यहां स्थित अशोक स्तंभ बुद्ध के प्रथम उपदेश और चार आर्य सत्यों के प्रकटीकरण के स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
कुशीनगर
भगवान बुद्ध का अंतिम विश्राम स्थल है और इसलिए इसे बौद्ध अनुयायियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है। यहाँ गौतम बुद्ध की मृत्यु और अंतिम संस्कार हुआ था यहां बुद्ध भगवान के मंदिर का निर्माण 3वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान धर्म के प्रचार-प्रसार के साथ साथ विहारों, स्तूपों और मंदिरों का निर्माण शुरू हुआ । इस समय से पहले भी कुशीनगर में विभिन्न बौद्ध स्थल थे ।